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Monday, 12 March 2018

4. कलम का जादूगर!!

कलम का जादूगर





बिहार के मुज़्ज़फरपुर जिले के बेनिपुर गांव में रहा करते थे एक विशिष्ट शैलीकार जिन्हें "कलम का जादूगर" कहा जाता है। जन्म हुआ सन् १८९९ (1899) में और माता पिता का साया बचपन में ही सर से उठ गया। दसवीं के उपरांत सन् १९२० (1920) में राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन से सक्रिय रूप से जुङ गए। कई बार जेल भी गए। सन् १९६८ (1968) में उनका देहावसान हो गया।


ऐसा प्रतिभाशाली पत्रकार एवम साहित्यकार जिसकी रचनाएं १५ 
(15‌) वर्ष की उम्र से प्रकाशित होने लगीं। अनेक दैनिक, साप्ताहिक, मासिक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन करने वाले   “श्री रामव्रक्ष बेनीपुरी जी


Photo Credit :- Prafful Bhargava 

(प्रफुल्ल भार्गव)



यह लेख समर्पित है स्व. “श्री रामव्रक्ष बेनीपुरी जी को, और दरअसल उपर दिए गए चित्र को देख मुझे बेनीपुरी जी की एक कहानी याद आ गई जिसका नाम है बालगोबिन भगत

पूरी कहानी तो काफी लम्बी हो जाएगी सो मैं कुछ काम की बात बताना चाहुंगा। कहानी के मुख्य किरदार, भगत जी एक मस्त मौला, साठ साल से उपर के, खेतीबारी वाले बिल्कुल फक्कङ व्यक्ति जो ग्रहस्थ होते हुए भी एक साधू हैं और जिनकी दिनचर्या है संगीत!!
जिन्हें हर गांव वाला उनके गीतों और भजनों के कारण जानता था, कबीर को 'साहब' कहने वाला फकीर जो हर मौसम के अनुरूप गीत और सुबह शाम साहब के दोहे दोहराते थे!!

एक दिन अचानक भगत का बेटा मर जाता है, पर आश्चर्य की बात यह कि भगत उस दिन भी उसी मस्ती से भजन गा रहे हैं। उनकी पुत्रवधू, जिसके आंसू नहीं रुक रहे हैं, जिसे सारी मोहल्ले की औरतें शांत कराने की कोशिश कर रही हैं। उसे भगत बाबा खुशी मनाने को कह रहे हैं, उनका कहना है कि ये वक्त उत्साह का है, आत्मा का परमात्मा से मिलन हो रहा है!! और तब मैं समझा कि बाबा भगत दुख में भी खुशी मनाने वालों में से हैं।
और बाबा का देहावसान भी उनकी इच्छा स्वरूप ही हुआ, किसी को नहीं पता की यह कैसे हुआ बस एक दिन सुबह सुबह वो दोहे सुनाई नहीं पङे और जब लोगों ने जाकर देखा तो पता चला की भगत बाबा नहीं रहे!! मैं मानता हूँ वो जहाँ भी गये होंगे वहाँ रोते को हंसा देंगे।

लेखक बेनिपुरी जी की इस कहानी का यह संदेश हम सब तक पहुंचना जरूरी है कि -

"जो भी हो हमेशा एक से रहो और कठिन समय में खुश रहो और सब खुद-ब-खुद सही हो जाएगा, दरअसल इसी का नाम तो ज़िंदगी है!!"


-प्रद्युम्न पालीवाल  

यह कहानी आज भी आपको एन.सी.ई.आर.टी. की दसवीं की किताब पर मिल जाएगी यदि आप पूरी कहानी का पठन करना चाहें तो!! और एक लिंक उस कहानी के लिये यह है:-

बालगोबिन भगत



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