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Sunday, 18 November 2018

ऋषिकेश - १

ऋषिकेश - १


Photo Credit :- Pradyumn Paliwal 

(प्रद्युम्न पालिवाल)

कई जगहों पर अपनत्व महसूस होता है, ऋषिकेश, उत्तराखंड उन्हीं में से एक है!!
बावजूद 13 या 14 डिग्री तापमान के तुम गंगा किनारे बैठे रहो, सामने से मुँह पर पड़ती शीत लहर, लगातार बहता बर्फ़ सा गंगाजल, कई बार पूरे घाट पर अकेले और बढ़ता हुआ अँधेरा, और कभी उठ कर जाने लगो तो मानो वहाँ उपस्थित हर जीव-निर्जीव तुम्हारा कुर्ता खींचते हुए बोले - "कहाँ जा रहे हो?? बहुत कम अपने लोग हमारे पास आते हैं!"

Photo Credit :- Pradyumn Paliwal 

(प्रद्युम्न पालिवाल)


तुम सोचोगे कि बोला जाए-"समय कम है, मेरी ट्रैन है" या कोई और नया बहाना।

पर सामने से आवाज़ आएगी,-"हाँ, बहुत से बहाने होंगे तुम्हारे पास, समय की कमी या गाड़ी का निकल जाना, पर क्या एक बहाना नहीं है रुकने का?" 


तुम फिर सोचोगे, पर एक और करुणापूर्ण भावुक आग्रह "कुछ देर ही सही, तुम भी तो बहुत कुछ कहना चाहते हो, दबाए बैठे हो सब, अपनी ही चार बातें कर लेना,और..."


और अचानक तुम बोल उठोगे "हाँ, ठीक है! मैं यहीं हूँ, कहीं नहीं जा रहा, आओ कुछ बात करते हैं!"


फिर हो जाएगी सुबह यूँ ही बैठे-बैठे, बात करते-करते, हर उस जीव-निर्जीव से जिस ने रोका है तुम्हें वहाँ!


और समझोगे तुम की अंतर क्या है, 

तेरा-मेरा और अपना में!

- प्रद्युम्न पालीवाल। 

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